A Lighthouse Love Story एक प्रकाशस्तंभ की प्रेम कहानी
समुद्र के किनारे बसे छोटे से गाँव सागरपुर में एक पुराना प्रकाशस्तंभ था। वहाँ रहने वाली अनु, जो समुद्री जीवों का अध्ययन करती थी, को इस प्रकाशस्तंभ से एक अजीब सा लगाव था। वह अक्सर समुद्र किनारे टहलते हुए इसे देखा करती और सोचती कि इसके अंदर क्या होगा।
एक शाम, जब तेज हवाएँ चल रही थीं, अनु ने प्रकाशस्तंभ में जाने का फैसला किया। अंदर जाकर उसने एक पुराना सूटकेस देखा। उसमें कुछ पुराने पत्र, तस्वीरें और एक डायरी थी। डायरी के साथ एक पुरानी तस्वीर थी जिसमें एक आदमी था जो बिल्कुल अनु जैसा दिखता था।
तस्वीर के पीछे लिखा था: “अमन, प्रकाशस्तंभ रक्षक, 1952”। अनु ने डायरी पढ़नी शुरू की। यह अमन की कहानी थी, जो प्रकाशस्तंभ का रखवाला था और जिसने आशा नाम की लड़की से प्यार किया था। लेकिन आशा के पिता ने उन्हें अलग कर दिया।
अमन ने अपनी आखिरी डायरी में लिखा था: “प्यारी आशा, अगर हमारा प्यार सच्चा है, तो मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा। इस जन्म में या अगले में, मैं तुम्हें ज़रूर ढूँढ लूँगा।”
जैसे ही अनु ने यह पढ़ा, अचानक हवा का एक झोंका आया और मोमबत्ती बुझ गई। अँधेरे में उसे लगा जैसे कोई उसके पीछे खड़ा है। मुड़कर देखा तो वहाँ अमन की आत्मा थी।
अमन मुस्कुराए और बोले, “तुम वापस आ गई।” अनु को याद आया कि वह पिछले जन्म में आशा थी। उसे सब कुछ याद आ गया – उनका प्यार, उनका अलग होना, सब कुछ।
अनु ने अमन को छूने की कोशिश की। जैसे ही उनके हाथ मिले, एक तेज रोशनी फैल गई। लेकिन यह पल जल्दी ही बीत गया और अमन की आत्मा गायब हो गई।
अमन ने जाते-जाते कहा, “मेरी प्यारी, हमारा प्यार मौत से भी ताकतवर है। अपनी ज़िंदगी खुशी से जियो। मैं हमेशा तुम्हारा इंतज़ार करूँगा।”
इसके बाद अनु ने प्रकाशस्तंभ की मरम्मत शुरू कर दी। उसने सबको अमन और आशा की कहानी बताई। धीरे-धीरे, पूरे गाँव ने इसमें मदद की।
अनु ने अपनी पूरी ज़िंदगी समुद्र और प्रकाशस्तंभ की देखभाल में बिताई। जब वह बूढ़ी हो गई, तो एक दिन फिर से प्रकाशस्तंभ पर गई। वहाँ उसे अमन दिखाई दिए। इस बार वे उसे अपने साथ ले गए।
लोग कहते हैं कि आज भी जब चाँदनी रात होती है, तो समुद्र किनारे दो लोग हाथ पकड़कर चलते दिखाई देते हैं। शायद वे अमन और आशा ही हैं, जो आखिरकार मिल गए।